गणधर अग्निभूती जी का जीवन परिचय
गणधर अग्निभूती जी प्रभु महावीर के द्वितिय गणधर (शिष्य) थे । ये गौतम स्वामी जी के सहोदर भाई थे ।अग्निभूती गौतम ने पाँच सौ छात्रों के साथ 46 वर्ष की अवस्था में श्रमण भगवान महावीर स्वामी की सेवा में मुनि-धर्म स्वीकार किया और बारह वर्ष तक छद्मस्थ भाव में रहकर केवलज्ञान प्राप्त किया। सोलह वर्ष केवली पर्याय में रहकर इन्होंने भगवान के जीवनकाल में ही गुणशील चैत्य में एक मास के अनशन से मुक्ति प्राप्त की। इनकी पूर्ण आयु चौहत्तर वर्ष की थी।
गणधर अग्निभूती जी जी की शंका
भगवान महावीर के दीक्षा ग्रहण करने से पहले तक अग्निभूती जी ब्राह्मण थे । दीक्षा के बाद उन्होने अपनी शंका समाधान के उपरांत जैन धर्म अपना लिया था और वह भगवान महावीर स्वामी के दूसरे शिष्य, द्वितिय गणधर अग्निभूती जी के नाम से विख्यात हुये ।
प्रत्येक गणधर को अपने ज्ञान में कोई ना कोई शंका थी, जिसका समाधान भगवान महावीर ने किया था ।
अग्निभूती जी को शंका थी कि, कर्म सिद्धांत होता है या नही ?
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