जैन धर्म में तीर्थंकर जन्म के स्वपन कौन - कौनसे है ?
जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में 24 तीर्थंकर जन्म लेते हैं। तीर्थंकर प्रभू का जन्म क्षत्रियकुल में होता है। वे कभी भी दरिद्र कुल में जन्म नहीं लेते। जन्म के समय ही वे तीन ज्ञान के धारक होते हैं - मतिज्ञान, श्रुतज्ञान व अवधिज्ञान तीर्थंकर प्रभू के जन्म से पहले उनकी माता स्वप्न देखती है , जैन धर्म की श्वेताम्बर मान्यतानुसार स्वपन की संख्या 14 होती है तथा दिगम्बर मान्यतानुसार तीर्थंकर प्रभू की माता 16 दिव्य स्वपन देखती है ।
जानिये - जैन धर्म मे ज्ञान के प्रकार
14 दिव्य स्वपन |
जैन धर्म की श्वेताम्बर मान्यतानुसार 14 स्वपन निम्न है -
(१) हाथी
(२) वृषभ
(३) सिंह
(४) लक्ष्मी
(५) युगल फूल माला
(६) चन्द्रमा
(७) सूर्य
(८) ध्वजा
(९) कलश
(१०) पद्म सरोवर
(११) समुद्र
(१२) रत्नराशि
(१३) देव विमान
(१४) निर्धूम अग्निः
जानिये - तीर्थंकर और उनके प्रतीक चिह्न
16 दिव्य स्वपन |
जैन धर्म की दिगम्बर परम्परां के अनुसार स्वपनों की संख्या 16 है ।
१- ऐरावत हाथी
२- केसरी सिंह
३- श्वेत बैल
४- लक्ष्मी
५- उदय होता हुआ सूर्य
६- चन्द्रमा
७- किलोल करता मछली युगल
८- कलश युगल
९- सरोवर
१०- शांत समुद्र
११- दो पुष्प मालाएं
१२- सिंहासन
१३- रत्न राशि
१४- देवों का विमान
१५- नागेन्द्र का भवन
१६- निर्धूम/अग्नि
इस प्रकार से प्रत्येक तीर्थंकर प्रभू की माता तीर्थंकर प्रभू के जन्म से पूर्व इस प्रकार के 14/16 दिव्य स्वपनों को देखती है ।
अगर कोई त्रुटी हो तो " तस्स मिच्छामी दुक्कडम " ।
जानिये - प्रभु महावीर के जन्म की बधाई - (जैन भजन)
कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।