भगवान महावीर के दस अनमोल विचार

Abhishek Jain
0

भगवान महावीर के दस अनमोल विचार

भगवान महावीर स्वामी जी जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर है । प्रभु महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था । जैन धर्म के इस कालखण्ड में प्रभु महावीर जैन धर्म के अंतिम तथा 24 वें तीर्थंकर है । प्रभु महावीर का जीवन त्याग व तपस्या से परिपूर्ण था । प्रभु महावीर का प्रमुख उपदेश " जिओ और जीने दो " का था ।


जानिये - श्री महावीर स्वामी का छंद


प्रभु महावीर के दस अनमोल विचार


प्रभु महावीर ने कैवलय ज्ञान के पश्चात् पंचमहाव्रतो का उपदेश दिया । भगवान महावीर द्वारा दि गई देशना को गणधर प्रभु द्वारा 14 पूर्वो में सूत्रबद्ध किया , यही 14 पूर्व 32 जैन आगमों का आधार बने । भगवान महावीर नें अनेकांतवाद और स्यादवाद का सिद्धांत दिया था ।


जानिये भगवान महावीर के दस अनमोल विचार

1.आत्मा अकेले आती हैं, अकेले चली जाती हैं, न कोई उसका साथ देता हैं, न कोई उसका मित्र बनता हैं।

2.आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है। असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं, वो शत्रु हैं क्रोध, घमंड, लालच, आसक्ति और नफरत।

3.खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है।

4.खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है।

5.सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान अहिंसा है।

6.अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है।

7.शांति और खुद पर नियंत्रण ही अहिंसा है।

8.स्वयं से लड़ो, बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना? वह जो स्वयम पर विजय कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी।

9.हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया रखो। घृणा से विनाश होता है।

10. निज पर शासन फिर अनुशासन ।


जानिये - भगवान महावीर स्वामी की आरती


एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।

एक टिप्पणी भेजें (0)