अरिष्टनेमि जी ( नेमीनाथ जी) की आरती

Abhishek Jain
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प्रभु अरिष्टनेमी जी जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर है । प्रभु अरिष्टनेमी जी का अन्य नाम नेमिनाथ भी था । प्रभु अरिष्टनेमी जी का उल्लेख हिन्दू ग्रन्थों यथा वेदो और पुराणो में भी मिलता है ।

अरिष्टनेमि जी

अरिष्टनेमि जी ( नेमीनाथ जी) की आरती

जय नेमीनाथ स्वामी, प्रभु जय नेमीनाथ स्वामी
जय नेमीनाथ स्वामी, प्रभु जय नेमीनाथ स्वामी ।

तुम हो भव दधि तारक प्रभु जी, 
तुम हो भव दधि तारक प्रभु जी ।

 अन्तर के यामि स्वामी, 
जय नेमीनाथ स्वामी
समवशरण में आप विराजे, 
समवशरण में आप विराजे ।
 
खिरे मधुर वाणी स्वामी, 
जय नेमीनाथ स्वामी
सुन भवि परम तत्व को पावत, 
सुन भवि परम तत्व को पावत ।

 सुख सम्यक ज्ञानी स्वामी, जय नेमीनाथ स्वामी
यक्ष यक्षिणी चंवर ढोरते, यक्ष यक्षिणी चंवर ढोरते ।

 महिमा अब जानी स्वामी, जय नेमीनाथ स्वामी
तीन छत्र सिर पर तुम सोहे, तीन छत्र सिर पर तुम सोहे ।

 ध्यावत मुनि ध्यानी स्वामी, जय नेमीनाथ स्वामी
जय नेमीनाथ स्वामी, प्रभु जय नेमीनाथ स्वामी ।

" जय जिनेन्द्र " 

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