नवकार महामंत्र के पांच पदों की वंदना

Abhishek Jain
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नवकार मंत्र में 9 पद होते हैं, इसलिए इसे नवकार कहा जाता है ।
नमस्कार मंत्र के 5 मुख्य पदों के कारण इसे पंच परमेष्ठी भी कहते हैं ।
नवकार मंत्र जैन धर्म का आदि मूल है इसे नमस्कार महामंत्र भी कहते हैं।


नवकार मंत्र के पाँच पदो की विशेषता

णमो अरिहंताणं

नमुं श्री अरिहंत, कर्मों को कियो अन्त,
हुआ सो केवलवंत, करुणा, भंडारी है।
अतिशय चौत्तीसधार, पैंतीस वाणी उच्चार
समझावे नरनार, पर उपकारी है।।
शरीर है सुन्दराकार सूरज सो झलकार,
गुण है अनन्तसार, दोष परिहारी है।
कहत है तिलोकरिख, मन वच काया करी,
झुकी-झुकी बारंबार, वंदना हमारी है ||१||


णमो सिद्धाणं

सकल करम टाल, वश कर लियो काल,
मुक्ति में रह्या माल, आत्मा कु तारी है,
देखत सकल भाव, हुवा है जगतराव,
सदा ही क्षायिक भाव, भये अविकारी है ।।१।।
अचल अटल रूप, आवे नहीं भवकूप,
अनूप स्वरूप रूप, ऐसे सिद्ध धारी है।।
कहत है तिलोकरिख, बताओ ए वास प्रभु,
सदाही. उगते सूर, वंदना हमारी है ||२||


णमो आयरियाणं

गुण है छत्तीस पूर, धारत धर्म उर,
भारत करम कूर, सुमति विचारी है,
शुद्ध सो अचारवंत, सुन्दर है रूपकंत,
मणिया सभी सिद्धांत बांचणी सु प्यारी है।
अधिक मधुर वेण, कोई नहीं लोपे केण,
सकल जीवांरा सेण, कीरती अपारी है,
कहत है तिलोकरिख, हितकारी देत सीख,
ऐसे आचारजजी, ताकुं वंदना हमारी है ||३||


णमो उवज्झायाणं

पढ़त इग्यारह अंग, करमां सूं करे जंग,
पाखंडी को मान भंग, करण हुंस्यारी है,
चउदह पूर्वधार, जानत आगम
भवियन के सुखकार, भ्रमता निवारी है।।
पढ़ावे भविक जन, स्थिर कर देत मन,
तप करी तावे तन ममता कुमारी है,
कहत है तिलोकरखि, ज्ञान भानु परतिख,
ऐसे उपाध्याय ताकुं वंदना हमारी है ।। ४ ।।


णमो लोए सव्व साहूणं

आदरी संजम भार, करणी करे अपार,
सुमति गुप्ति धार, विकथा निवारी है,
जयणा करे छः काय, सावद्य न बोले वाय ।
बुझाय कषाय लाय, किरिया भंडारी है ।।
ज्ञान भणे आठों याम, लेवे भगवंत नाम,
धर्म को करे काम, ममता निवारी है,
कहत है तिलोकरखि, करमा को टाले विख,
ऐसे मुनिराज, ताकू वंदना हमारी है ।।५।।




" जय जिनेन्द्र "

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