Lord Mahavir Janma Kalyanak
भगवान महावीर जन्म कल्याणक इस बार 21 अप्रेल 2024 को है । भगवान महावीर का जन्म चैत्र शुक्ल त्रियोदशी के दिन माता त्रिशला के गर्भ से हुआ था । प्रभु के पिता का नाम सिद्धार्थ था । प्रभु महावीर जैन धर्म के इस वर्तमान काल के 24 वें तीर्थंकर है ।
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भगवान महावीर जन्म कल्याणक होता है, महावीर जयंती नही कहते ऐसा क्यो ?
प्रभु महावीर का जन्म " महावीर जयंती " के रूप में मनाया जाता है , परन्तु जैन परम्परा के अनुसार तीर्थंकरो के कल्याणक मनाये जाते है जैसे - जन्म कल्याणक , दीक्षा कल्याणक इत्यादि ।
तीर्थंकर प्रभु के पाँच कल्याणक होते है जो की क्रमश: च्यवन कल्याणक , जन्म कल्याणक , दीक्षा कल्याणक , केवलयज्ञान कल्याणक और मोक्ष कल्याणक के रूप में मनाये जाते है ।
इस प्रकार से ' महावीर जयंती ' कहे तो ठीक परन्तु "भगवान महावीर जन्म कल्याणक" (Mahavir Janma Kalyanak ) कहे तो ज्यादा अच्छा होगा , क्योकी तीर्थंकर प्रभु के जन्मकल्याणक मनाये जाते है ।
हम महावीर जन्म कल्याणक कैसे मनाये ?
सीधा सा उत्तर है , उनके मार्ग का अनुसरण करके और उनका मार्ग शांती और अहिंसा का मार्ग है , हमे आजीवन जीव दया करनी चाहिए । जीवो को अभयदान देना चाहिए । जहां तक हो सके पाँच अणुव्रतो का पालन करना चाहिए ।
हम इस दिन यथा शक्ति उपवास भी कर सकते है , आप अगर पूरे वर्ष सामायिक नही करते तो कम से कम प्रभु महावीर के जन्म कल्याणक पर सामायिक करें , नवकार मंत्र की माला फेरे , अनापूर्वी व शांती पाठ पढे ।
आप भूखे जीवों को सात्विक आहार भी खिला सकते है , पक्षियो को दाना डाले , गर्मियो में प्रतिदिन पक्षियो के लिए पानी की व्यवस्था करें । यथा शक्ति जितना हो सकते आप दीन - दुखी , गरीबो की सहायता करें ।
सच्चे अर्थो में त्यौहार मनाने का औचित्य तभी है जब हम किसी जीव का जीवन आसान कर दें ।
हम दयालु बने , हमारा रहन - सहन अहिंसक हो , हम शाकाहार अपनाये और दुसरो को भी प्रेरित करें ।
इस प्रकार से हम प्रभु महावीर का जन्म कल्याणक मना सकते है ।
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हम महावीर जयंती कैसे मनाते है ?
हम महावीर जयंती मनाते है , कई जैन भवनो में नाटक होते है , कोई प्रभु महावीर की झांकी निकालता है , जैन समाज नगर में फेरी लगाता है और नारे बाजी होती है और बात खत्म ।
क्या हमारे प्रभु ने हमे इतना हि सिखाया है ? क्या ये उचित तरीका है, प्रभु के कल्याणक का ?
मै यहां यह नही कह रहा हूँ की क्या गलत है , क्या सही , लेकिन हम मुख्य तौर से प्रभु महावीर की सबसे मुख्य शिक्षा अहिंसा को भूल जाते है , खर्चिला समारोह हि मुख्य भूमिका में रहता है , मुझे कोई आपत्ती नही है , जिसकी जैसी सोच वह अपनी समझ के अनुसार वैसा ही करता है , परन्तु आज सबसे बडी आवश्यकता और हमारी जिम्मेदारी है कि हम यह दिखावा छोडकर दुनिया के सामने प्रभु महावीर के मुख्य सिद्धांतो को आगे लायें । हमारे प्रभु की दिव्य वाणी से इस संसार को परिचित करवाये ।
" जिओ और जीने दो " के सिद्धांत वाला जैन धर्म के अहिंसा के सिद्धांत को पूरे विश्व मे फैलाये और कम से कम महावीर जन्म कल्याणक के दिन पूरा विश्व शाकाहार और अहिंसा दिवस के रूप में प्रभु महावीर जन्मकल्याणक को मनाये तो हमारा कल्याणक मनाने का औचित्य सिद्ध होगा । सिर्फ एक दिन जब पूरा विश्व एक साथ होगा कम से कम एक दिन जो 'शाकाहार दिवस' के रूप में घोषित हो ।
उस दिन कोई भी जीव हत्या न हो , सारे बुचड़खाने बंद हो जाये तो कितना अच्छा होगा । ऐसा भी नही है कि इतिहास में ऐसा न हुआ हो , मुगल बादशाह जाहगीर ने संवत्सरी के दिन पूरे भारत में बूचडखाने बंद करवा दिये थे तो आज ऐसा क्यो नही हो सकता ? सिर्फ एक दिन के लिए कम से कम भारत देश में ही सारे बूचड़खाने एक दिन के लिए बंद हो जाये । प्रभु महावीर की भारतभूमी पर उनके जन्मकल्याणक के रूप में हमारी सरकारे ऐसा कर सकती है , कम से कम सिर्फ एक दिन तो ऐसा होना चाहिए ।
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प्रभु महावीर की साधाना सत्य की साधना थी कोई भी प्रभु महावीर के पथ पर चलेगा वह एक न एक दिन अवश्य निर्वाण को प्राप्त होगा ।
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" जय महावीर " ।
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