श्री गौतमस्वामी जी स्तोत्र (जैन धर्म)
श्री गौतम स्वामी जी (Gautam Swami) जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर प्रभु महावीर स्वामी जी (Mahaveer Swami) के प्रथम गणधर थे । भगवान महावीर के ज्ञान प्राप्ती के पश्चात प्रभु महावीर के प्रथम शिष्य गौतम स्वामी ही बने थे । वह गौतम गौत्रिय ब्राह्मण थे , उन्हे " आत्मा के विषय में संदेह " था । प्रभु महावीर से उचित उत्तर पाते ही श्री गौतम स्वामी जी ने प्रभु महावीर स्वामी जी का शिष्यत्व स्वीकार किया ।
जैन धर्म में गौतम स्वामी जी लब्धि के भण्डार माने जाते है ,प्रत्येक शुभ कार्य से पहले गौतम स्वामी जी का नाम लिया जाता है । गौतम नाम गणेश की परम्परां भी जैन धर्म मे विद्मान है , जिस प्रकार से हिन्दू धर्म में प्रत्येक मंगल कार्य करने से पहले गणेश जी का नाम लिया जाता है , उसी प्रकार से गौतम स्वामी जी का समरण भी किसी भी पूजा से पहले किया जाता है । गौतम स्वामी जी "नमो सिद्धांण" में नमस्कार किये जाते है ।
जिन गौतम गणधर का नाम ही इतना प्रभावशाली है जो सब विघ्न बाधाओ को दूर कर देता है , उन गणधर प्रभु का स्तोत्र कितना महान प्रभावशाली होगा । प्रभु श्री गौतमस्वामी स्तोत्र का पाठ पूर्णतः शुद्ध भाव से नियमपूर्वक करें ।
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