Bhaktamar Stotra Shloka-35 With Meaning

Abhishek Jain
0

 Bhaktamar Stotra Shloka-35 With Meaning

भक्तामर स्तोत्र जैन धर्म का महान प्रभावशाली स्तोत्र है । इस स्तोत्र की रचना आचार्य मानतुंग ने की थी । इस स्तोत्र की रचना संस्कृत भाषा में हुई थी , जो इस स्तोत्र की मूल भाषा है, परन्तु यदी आपको संस्कृत नही आती तो आपकी सुविधा के लिए Bhaktamar Stotra के श्र्लोको (Shloka) को हमने मूल अर्थ के साथ - साथ हिन्दी में अनुवादित करते हुये उसका अर्थ भी दिया है , साथ हि साथ जिन लोगो को English आती है और संस्कृत नही पढ सकते वह सधार्मिक बंधु भी English मे Bhaktamar stotra का पाठ कर सकते है । इस प्रकार से Bhaktamar Stotra Shloka-35 With Meaning की सहायता से आप आसानी से इस स्तोत्र का पाठ कर सकते है ।

चाहे भाषा कोई भी हो हमारी वाणी से श्री आदीनाथ प्रभु का गुणगाण होना चाहिए । नित्य प्रातः काल मे पूर्ण शुद्धता के साथ श्री भक्तामर स्तोत्र का पाठ अवश्य करें ।

Bhaktamar Stotra Shloka-35

Bhaktamar Stotra Shloka - 35

दुर्भिक्ष,चोरी,मिरगी आदि निवारक

(In Sanskrit)

स्वर्गा-पवर्ग-गममार्ग-विमार्गणेष्टः,

सद्धर्म-तत्त्व-कथनैक-पटुस-त्रिलोक्याः ।

दिव्य-ध्वनिर-भवति ते विशदार्थ-सर्व-

भाषा-स्वभाव-परिणाम-गुणैः प्रयोज्यः ॥35॥

(In English)

svargapavargagamamarga - vimarganeshtah,

saddharmatatvakathanaika - patustrilokyah |

divyadhvanirbhavati te vishadarthasatva

bhashasvabhava - parinamagunaih prayojyah || 35 ||

Explanation (English)

Your divine voice is a guide that illuminates the path 

leading to heaven and liberation; it is fully capable 

of expounding the essentials of true religion for the 

benefit of all the beings of the three worlds; it is 

endowed with miraculous attribute that makes it 

comprehensible and understood by every listener in his 

own language.

(हिन्दी में )

स्वर्ग-मोख-मारग संकेत, परम-धरम उपदेशन हेत |

दिव्य वचन तुम खिरें अगाध, सब भाषा-गर्भित हित-साध ||३५||

(भक्तामर स्तोत्र के 35 वें श्लोक का अर्थ )

आपकी दिव्यध्वनि स्वर्ग और मोक्षमार्ग की खोज में साधक, तीन लोक के जीवों को समीचीन धर्म का कथन करने में समर्थ, स्पष्ट अर्थ वाली, समस्त भाषाओं में परिवर्तित करने वाले स्वाभाविक गुण से सहित होती है|


" भगवान ऋषभदेव जी की जय "


इन्हें भी देंखे -

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।

एक टिप्पणी भेजें (0)