Bhaktamar Stotra Shloka-23 With Meaning
भक्तामर स्तोत्र जैन धर्म का महान प्रभावशाली स्तोत्र है । इस स्तोत्र की रचना आचार्य मानतुंग ने की थी । इस स्तोत्र की रचना संस्कृत भाषा में हुई थी , जो इस स्तोत्र की मूल भाषा है, परन्तु यदी आपको संस्कृत नही आती तो आपकी सुविधा के लिए Bhaktamar Stotra के श्र्लोको (Shloka) को हमने मूल अर्थ के साथ - साथ हिन्दी में अनुवादित करते हुये उसका अर्थ भी दिया है , साथ हि साथ जिन लोगो को English आती है और संस्कृत नही पढ सकते वह सधार्मिक बंधु भी English मे Bhaktamar stotra का पाठ कर सकते है । इस प्रकार से Bhaktamar Stotra Shloka-23 With Meaning की सहायता से आप आसानी से इस स्तोत्र का पाठ कर सकते है ।
चाहे भाषा कोई भी हो हमारी वाणी से श्री आदीनाथ प्रभु का गुणगाण होना चाहिए । नित्य प्रातः काल मे पूर्ण शुद्धता के साथ श्री भक्तामर स्तोत्र का पाठ अवश्य करें ।
प्रेत बाधा निवारक
(In Sanskrit)
त्वामा-मनंति मुनयः परमं पुमांस-
मादित्य-वर्ण-ममलं तमसः पुरस्तात्
त्वामेव सम्य-गुपलभ्य जयंति मृत्युं,
नान्यः शिवः शिव-पदस्य मुनीन्द्र पंथाः ॥23॥
(In English)
tvamamananti munayah paramam pumansa-
madityavarnamamalam tamasah parastat |
tvameva samyagupalabhya jayanti mrityum
nanyah shivah shivapadasya munindra! panthah || 23 ||
Explanation (English)
O monk of monks ! All monks believe you to be the
supreme being beyond the darkness, splendid as the sun.
You are free from attachment and disinclination and
beyond the gloom of ignorance. One obtains immortality
by discerning, understanding, and following the path of
purity you have shown. There is no path leading to
salvation other than the one you have shown.
(हिन्दी में )
पुरान हो पुमान हो पुनीत पुण्यवान हो |
कहें मुनीश! अंधकार-नाश को सुभानु हो ||
महंत तोहि जान के न होय वश्य काल के |
न और मोहि मोक्ष पंथ देय तोहि टाल के ||२३||
(भक्तामर स्तोत्र के 23 वें श्लोक का अर्थ )
हे मुनीन्द्र! तपस्वीजन आपको सूर्य की तरह तेजस्वी निर्मल और मोहान्धकार से परे रहने वाले परम पुरुष मानते हैं | वे आपको ही अच्छी तरह से प्राप्त कर म्रत्यु को जीतते हैं | इसके सिवाय मोक्षपद का दूसरा अच्छा रास्ता नहीं है |
" भगवान ऋषभदेव जी की जय "
इन्हें भी देंखे -
कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।