Bhaktamar Stotra Shloka-22 With Meaning
भक्तामर स्तोत्र जैन धर्म का महान प्रभावशाली स्तोत्र है । इस स्तोत्र की रचना आचार्य मानतुंग ने की थी । इस स्तोत्र की रचना संस्कृत भाषा में हुई थी , जो इस स्तोत्र की मूल भाषा है, परन्तु यदी आपको संस्कृत नही आती तो आपकी सुविधा के लिए Bhaktamar Stotra के श्र्लोको (Shloka) को हमने मूल अर्थ के साथ - साथ हिन्दी में अनुवादित करते हुये उसका अर्थ भी दिया है , साथ हि साथ जिन लोगो को English आती है और संस्कृत नही पढ सकते वह सधार्मिक बंधु भी English मे Bhaktamar stotra का पाठ कर सकते है । इस प्रकार से Bhaktamar Stotra Shloka-22 With Meaning की सहायता से आप आसानी से इस स्तोत्र का पाठ कर सकते है ।
चाहे भाषा कोई भी हो हमारी वाणी से श्री आदीनाथ प्रभु का गुणगाण होना चाहिए । नित्य प्रातः काल मे पूर्ण शुद्धता के साथ श्री भक्तामर स्तोत्र का पाठ अवश्य करें ।
भूत-पिशाचादि व्यंतर बाधा निरोधक
(In Sanskrit)
स्त्रीणां शतानि शतशो जनयंति पुत्रान्-
नान्या सुतं त्वदुपमं जननी प्रसूता ।
सर्वा दिशो दधति भानि सहस्त्र-रश्मिं,
प्राच्येव दिग्जनयति स्फुर-दंशु-जालम् ॥22॥
(In English)
strinam shatani shatasho janayanti putran
nanya sutam tvadupamam janani prasuta|
sarva disho dadhati bhani sahastrarashmim
prachyeva dig janayati sphuradanshujalam || 22 ||
Explanation (English)
O the great one! Infinite stars and planets can be seen
in all directions but the sun rises only in the East.
Similarly numerous women give birth to sons but a
remarkable son like you was born only to one mother; you
are very special.
(हिन्दी में )
अनेक पुत्रवंतिनी नितंबिनी सपूत हैं |
न तो समान पुत्र और मात तें प्रसूत हैं ||
दिशा धरंत तारिका अनेक कोटि को गिने |
दिनेश तेजवंत एक पूर्व ही दिशा जने ||२२||
(भक्तामर स्तोत्र के 22 वें श्लोक का अर्थ )
सैकड़ों स्त्रियाँ सैकड़ों पुत्रों को जन्म देती हैं, परन्तु आप जैसे पुत्र को दूसरी माँ उत्पन्न नहीं कर सकी| नक्षत्रों को सभी दिशायें धारण करती हैं परन्तु कान्तिमान् किरण समूह से युक्त सूर्य को पूर्व दिशा ही जन्म देती हैं |
" भगवान ऋषभदेव जी की जय "
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