प्रभु सुमतिनाथ जी जैन धर्म के 5वें तीर्थंकर है। प्रभु का जन्म चैत्र शुक्ल एकादशी को काम्पिलय नामक नगर मे हुआ था । प्रभु सुमतिनाथ जी के पिता का नाममेघरथ तथा माता का नाम सुमंगला था, प्रभु की देह का रंग स्वर्ण के समान पीला था ।
जानिये - सुमतिनाथ जी जीवन परिचय
श्री सुमतिनाथजी की आरती
जय सुमतिनाथ देवा, स्वामी सुमतिनाथ देवा।
करुँ तुम्हारी आरती स्वामी मेटो अघ मेरा।
मात मंगला पिता मेघरथ, तिनके प्रभु जन्मे।
स्वामी तिनके प्रभु जन्मे
धन्य हुआ है नगर अयोध्या, देव जहाँ उतरे।
जय सुमतिनाथ देवा
सुमतिनाथ की प्रतिमा है यह अतिशय दिखलाती।
स्वामी अतिशय दिखलाती
भक्ति भाव से जो कोई पूजे, आतम तर जाती।
जय सुमतिनाथ देवा
श्री सुदर्शन को सपने में, प्रतिमा दिखलाई।
स्वामी प्रतिमा दिखलाई
भूमि भीतर प्रतिमा बैठी, भूमि खुदवाई।
जय सुमतिनाथ देवा
सुमतिनाथ प्रकट हुए है, चमत्कार की जीत।
स्वामी चमत्कार की जीत
वीर निर्वाण चौबीस चौहत्तर, फाल्गुन शुक्लातीज।
जय सुमतिनाथ देवा
चारों ओर हुआ जयकारा, श्रावक हर्षाया।
स्वामी श्रावक हर्षाया
भव्य जिनालय रैवासा में, प्रभु को बैठाया।
जय सुमतिनाथ देवा
इक दिन मुनि सुधासागर जी, दर्शन को आये।
स्वामी दर्शन को आये
देख अतिशय सुमतिनाथ का, अतिशय गुण गाये।
जय सुमतिनाथ देवा
घोषित किया नाम भव्योदय, क्षेत्र रैवासा।
स्वामी क्षेत्र रैवासा
भव्योदय का अतिशय है यह, देवों का वास।
जय सुमतिनाथ देवा
भूत पलितो का संकट जो, दर्शन से टलता।
स्वामी दर्शन से टलता
नाना सुख वैभव को पाकर, सबको दुःख हरता।
जय सुमतिनाथ देवा
कर्म के मारे दुखिया आते, चरणों में पड़ते।
स्वामी चरणों में पड़ते
निर्मल मन से आरती करते, सुखिया हो जाते।
जय सुमतिनाथ देवा...
"तीर्थंकर भगवान सुमतिनाथ जी की जय हो"
देखें - तीर्थंकर श्री सुमतिनाथ चालीसा
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