तीर्थंकर श्रेयांसनाथ जी की आरती
प्रभु श्रेयांसनाथ जी जैन धर्म के 11वें तीर्थंकर है ,प्रभु का जन्म फाल्गुन कृष्ण एकादशी के दिन सारनाथ में हुआ था । प्रभु श्रेयांसनाथ जी के पिता का नाम विष्णु तथा माता का नाम वेणुदेवी था । भगवान इक्ष्वाकु कुल में जन्मे थे तथा उनका प्रतीक चिह्न गेंडा था ।
श्री श्रेयांसनाथ जी की आरती
प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे
प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे।
स्वर्ण वर्णमय प्रभा निराली, मूर्ति तुम्हारी हैं मनहारी।
सिंहपूरी में जब तुम जन्मे, सुरगण जन्म कल्याणक करते।
प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे।
विष्णु मित्र पितु, नन्दा माता, नगरी में भी आनन्द छाता।
फागुन वदि ग्यारस शुभ तिथि थी, जब प्रभु वर ने दीक्षा ली थी।
प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे।
माघ कृष्ण मावस को स्वामी,कहलाये थे केवलज्ञानी।
श्रावण सुदी पूर्णिमा आई, यम जीता शिव पदवी पाई।
श्रेय मार्ग के दाता तुम हो, जजे चन्दनामति शिवगति दो।
प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे।
प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे।
प्रभु श्रेयांस की आरती कीजे, भव भव के पातक हर लीजे।
देखें - श्री श्रेयांसनाथ जी चालीसा
कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।