पद्मप्रभु जी की आरती

Abhishek Jain
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पद्मप्रभु जी (padam prabhu) जैन धर्म के 6वें तीर्थंकर है । पदम प्रभु का जन्म कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन इक्ष्वाकु कुल में कोशाम्बी नगरी मे हुआ था । प्रभु के पिता का नाम श्रीधर तथा माता का नाम सुसीमा था । प्रभु की देह का रंग लाल रंग का था, प्रभु का प्रतीक चिन्ह कमल का पुष्प था, जिस वजह से प्रभु का नाम पदम प्रभु कहलाया ।


तीर्थंकर पद्मप्रभु जी

पद्मप्रभु जी की आरती

जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा । 

जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा । 


तुम बिन कौन जगत में मेरा २, पार करों खेवा २ 

जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा ॥ 

 

तुम हो अगम अगोचर, स्वामी हम हैं अज्ञानी २। 

अपरम्पार तुम्हारी महिमा, काहू ना जानी २ ॥ 

तुम बिन कौन जगत में मेरा० 

 

विघ्न निवारो संकट टारो, हम आये शरणा २ । 

कुमति हटा सुमति दीज्यो, कर जोड़ पड़े चरणा २॥ 

तुम बिन कौन जगत में मेरा० 


पाँव पड़े को पार लगाया , सुख सम्पति दीना २ । 

श्रीपाल का कष्ट हटाकर, सुवर्ण तन कीना २॥ 

तुम बिन कौन जगत में मेरा०  


" जय जिनेन्द्र "


देखें - श्री पद्मप्रभु जी चालीसा


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