चन्द्रप्रभु जी जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर है । श्री चंद्रप्रभु जी का जन्म चन्द्रपुरी में इक्ष्वाकु कुल में हुआ था । इनके पिता का नाम महासेन तथा माता का नाम लक्ष्मणा था । प्रभु की देह का रंग दूध की भांती धवल था, इन्का प्रतीक चिह्न चन्द्रमां था ।
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चन्द्रप्रभु जी की आरती
|| ॐ जय चन्द्र प्रभु ||
ॐ जय चंद्रप्रभु देवा, स्वामी जय चंद्रप्रभुदेवा ।
तुम हो विघ्न विनाशक स्वामी, तुम हो विघ्न विनाशक स्वामी
पार करो देवा, स्वामी पार करो देवा ॥
ॐ जय चंद्रप्रभु देवा …………
मात सुलक्षणा पिता तुम्हारे महासेन देवा
चन्द्र पूरी में जनम लियो हैं स्वामी देवों के देवा
तुम हो विघ्न विनाशक, स्वामी पार करो देवा ॥
ॐ जय चंद्रप्रभु देवा …………
जन्मोत्सव पर प्रभु तिहारे, सुर नर हर्षाये
रूप तिहार महा मनोहर सब ही को भायें
तुम हो विघ्न विनाशक, स्वामी पार करो देवा ॥
ॐ जय चंद्रप्रभु देवा …………
बाल्यकाल में ही प्रभु तुमने दीक्षा ली प्यारी
भेष दिगंबर धारा, महिमा हैं न्यारी
तुम हो विघ्न विनाशक, स्वामी पार करो देवा ॥
ॐ जय चंद्रप्रभु देवा …………
फाल्गुन वदि सप्तमी को, प्रभु केवल ज्ञान हुआ
खुद जियो और जीने दो का सबको सन्देश दिया
तुम हो विघ्न विनाशक, स्वामी पार करो देवा ॥
ॐ जय चंद्रप्रभु देवा …………
अलवर प्रान्त में नगर तिजारा, देहरे में प्रगटे
मूर्ति तिहारी अपने अपने नैनन, निरख निरख हर्षे
तुम हो विघ्न विनाशक, स्वामी पार करो देवा ॥
ॐ जय चंद्रप्रभु देवा …………
हम प्रभु दास तिहारे, निश दिन गुण गावें
पाप तिमिर को दूर करो, प्रभु सुख शांति लावें
तुम हो विघ्न विनाशक, स्वामी पार करो देवा ॥
ॐ जय चंद्रप्रभु देवा …………
देखें - श्री चन्द्रप्रभु जी चालीसा
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