तीर्थंकर श्री अभिनंदननाथ जी की आरती

Abhishek Jain
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भगवान अभिनंदननाथ जी जैन धर्म के चर्तुथ तीर्थंकर थे । इनके पिता का नाम संवर तथा माता का नाम सिद्धार्था देवी था । प्रभु अभिनंदन नाथ जी का जन्म मार्गशीर्ष शुक्ल द्वादशी को अयोध्या में हुआ था । प्रभु की देह का रंग सुनहरा तथा प्रभु का प्रतीक चिह्न बंदर था ।



अभिनंदननाथ जी



श्री अभिनंदननाथ भगवान की आरती

अभिनंदन प्रभू जी की आज, हम सब आरति करें।
बड़ा सांचा प्रभू का दरबार, सब मिल आरति करें।।टेक.।।
राजा स्वयंवर के घर जब थे जन्में,
इन्द्रगण आ मेरू पे अभिषेक करते,
नगरी अयोध्या में खुशियां अपार, प्रजाजन उत्सव करें,
अभिनंदन प्रभू जी की ......।।१।।
माघ सुदी बारस की तिथि बनी न्यारी,
प्रभुवर ने उग्र वन में दीक्षा थी धारी,
त्रैलोक्य पूज्य प्रभुवर की आज, सब मिल आरति करें,
अभिनंदन.............।।२।।
पौष सुदी चौदस में केवल रवि प्रगटा,
प्रभु की दिव्यध्वनि सुनकर जग सारा हर्षा,
केवलज्ञानी प्रभुवर की आज, सब मिल आरति करें,
अभिनंदन.............।।३।।
शाश्वत निर्वाणथली सम्मेद गिरि है,
वहीं पे प्रभू ने मुक्तिकन्या वरी है,
मुक्तिरमापति प्रभू की आज, सब मिल आरति करें,
अभिनंदन.............।।४।।
प्रभु तेरे द्वारे हम आरति को आए,
आरति के द्वारा भव आरत मिटाएं,
मिले शिवमार्ग, सब मिल आरति करें
अभिनंदन............।।५।।



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Today | 1, April 2025