जैन धर्म में 24 तीर्थंकर माने गये है । जिसमें से भगवान ऋषभदेव जी प्रथम तीर्थंकर व भगवान महावीर 24 वें तीर्थंकर है, जैन धर्म में तीर्थंकर एक सर्वोच्च पद होता है , जिस पर अति पुणयशाली आत्मा विराजमान होती है अर्थात् तीर्थंकर बनती है ।
जाने - जैन धर्म के 24 तीर्थंकर
चौबीस तीर्थंकरों की आरती
ऋषभ अजित संभव अभिनंदन, सुमति पद्म सुपार्श्व की जय |
महाराज की श्रीजिनराज की, दीनदयाल की आरती की जय ||
चंद्र पुष्प शीतल श्रेयांस, वासुपूज्य महाराज की जय |
महाराज की श्री जिनराज की, दीनदयाल की आरती की जय ||
विमल अनंत धर्म जस उज्ज्वल, शांतिनाथ महाराज की जय |
महाराज की श्री जिनराज की, दीनदयाल की आरती की जय ||
कुंथ अरह और मल्लि मुनिसुव्रत, नमिनाथ महाराज की जय |
महाराज की श्री जिनराज की, दीनदयाल की आरती की जय ||
नेमिनाथ प्रभु पार्श्व जिनेश्वर, वर्द्धमान महाराज की जय |
महाराज की श्री जिनराज की, दीनदयाल की आरती की जय ||
इन चौबीसों की आरती करके, आवागमन-निवार की जय |
महाराज की श्री जिनराज की, दीनदयाल की आरती की जय ||
॥ इति ॥
कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।