जैन धर्म में अनापूर्वी क्या होती है ?
जैन धर्म में अनापूर्वी का अत्यंत महत्व है । मुख्य रूप से नवकार मंत्र की अनापूर्वी का पाठ जैन लोगो के द्वारा किया जाता है । अनापूर्वी में नवकार मंत्र को अलग - अलग तरह से पढा जाता है । नमोक्कार मंत्र में 5 पदो में 35 अक्षर होते है ।
इस प्रकार से नवकार मंत्र के जितने भी संभव उच्चारण है, वह सभी अनापूर्वी के माध्यम से हो जाते है । इस प्रकार सें प्रत्येक पृष्ठ पर 6 पंक्तियों में नवकार मंत्र के 5 पद लिखे होते है । एक पृष्ठ पर 6 बार अलग - अलग तरह से नवकार मंत्र पढा जाता है ।
अनापूर्वी में 20 पृष्ठ होते है । इस प्रकार से 20×6=120 बार अलग - अलग तरह से नवकार मंत्र का उच्चारण होगा । अतः गणित के प्रायिकता के अनुसार 5×4×3×2×1=120 होगा । अतः नवकार मंत्र को पढ़ने की अधिक से अधिक प्रायिकता 120 है जो हम अनापूर्वी के माध्यम से करते है ।
(आप मेरी post का उपयोग कर अनापूर्वी पढ़ना सीख सकते है , अगर कोई अनापूर्व पढ़ना चहता है तो आप इस post को share भी कर सकते है ।)
आप इसे इस तरह से समझे -
अनापूर्वी की शुरुआत की प्रथम पृष्ठ की प्रथम पंक्ति इस अनुसार होती है -
नवकार मंत्र
णमो अरिहंताणं
णमो सिद्धाणं
णमो आयरियाणं
णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्व साहूणं
इस प्रकार से नवकार मंत्र एक दम सही क्रम में होता है ।
और जब हम अनापूर्वी को पूरा पढ़ते है तब तक नवकार मंत्र का क्रम अंतिम पृष्ठ की अंतिम पंक्ति में इस अनुसार होता है ।
णमो लोए सव्व साहूणं
णमो उवज्झायाणं
णमो आयरियाणं
णमो सिद्धाणं
णमो अरिहंताणं
इस प्रकार सें अनापूर्वी के माध्यम से हम नवकार मंत्र के सभी संभव मंत्र पढ लेते है ।
(आगे अनापूर्वी की तस्वीरें देखकर आप अच्छी तरह से समझ जायेंगें)
अनापूर्वी पढ़ने की विधि
अनापूर्वी को इस तरह सें पढ़ा जाता है -
- जहाँ 1 हो वहाँ 'णमो अरिहंताणं' बोले
- जहाँ 2 हो वहाँ 'णमो सिद्धाणं' बोले
- जहाँ 3 हो वहाँ 'णमो आयरियाणं' बोले
- जहाँ 4 हो वहाँ 'णमो उवज्झायाणं' बोले
- जहाँ 5 हो वहाँ 'णमो लोए सव्व साहूणं' बोले
(अगर कोई श्रावक/ श्राविका अनापूर्वी पढना चाहते है तो उनकी सुविधा के लिए अनापूर्वी को तस्वीर के माध्यम से upload किया है, कृप्या कर यात्रा में या कही भी जहाँ आप पुस्तक नही ले जा सकते हमारे इस पृष्ठ के माध्यम से आप अनापूर्वी का पाठ कर सकते है )
अनापूर्वी का पाठ
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पृष्ठ संख्या - 1 |
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पृष्ठ संख्या - 2 |
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पृष्ठ संख्या - 3 |
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पृष्ठ संख्या - 4 |
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पृष्ठ संख्या - 5 |
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पृष्ठ संख्या - 6 |
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पृष्ठ संख्या - 7 |
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पृष्ठ संख्या - 8 |
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पृष्ठ संख्या - 9 |
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पृष्ठ संख्या - 10 |
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पृष्ठ संख्या - 11 |
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पृष्ठ संख्या - 12 |
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पृष्ठ संख्या - 13 |
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पृष्ठ संख्या - 14 |
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पृष्ठ संख्या - 15 |
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पृष्ठ संख्या - 16 |
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पृष्ठ संख्या - 17 |
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पृष्ठ संख्या - 18 |
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पृष्ठ संख्या - 19 |
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पृष्ठ संख्या - 20 |
इस प्रकार से अनापूर्वी का पाठ किया जाता है। अनापूर्वी का यह पाठ महामंगलदायक होता है । नवकार मंत्र का उच्चारण वह भी सभी क्रम में यह परम सौभाग्य हमें अनापूर्वी के माध्यम से मिलता है ।
अनापूर्वी के 20 पृष्ठ होते है और प्रत्येक पृष्ठ पर 6 बार नवकार मंत्र लिखा होता है । आप इसे गणित कि विधी से आपने हाथो से भी अनापूर्वी का पाठ कर सकते है ।
कोई त्रुटी हो तो "तस्स मिच्छाम दुक्कड़म".
जानिये - नवकार महामंत्र के पाँच पदो की वंदना
अनुपुर्वी के रचियेता कोन है 🙏
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