जैन लोग Jai Jinendra क्यों कहते है ?
'जय जिनेन्द्र' जैन लोगो द्वारा किया जाने वाला प्रख्यात अभिवादन है । जब कभी भी सामान्य मेल - मिलाप में या व्यवहारिकता में जब कोई दो जैन बंधु या सहयोगी मिलते है तो प्रथम अभिवादन के तौर पर 'जय जिनेन्द्र' कहा जाता है ।
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जैसे हिन्दु धर्म में ' राम - राम जी ', ' जय श्री कृष्णा ' कहा जाता है और सिख धर्म में 'सत् श्री अकाल' कहा जाता है , उसी प्रकार से जैन अनुयायी "जय जिनेन्द्र" शब्द का इस्तेमाल करते है ।
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यह अभिवादन सामान्य व्यवहार यथा प्रथम मिलन , किसी समारोह में मिलने पर या किसी स्थान से विदा लेते वक्त ' जय जिनेन्द्र ' कहा जाता है ।
जय जिनेन्द्र का अर्थ क्या होता है ?
जिनेन्द्र शब्द का अर्थ होता है - जिसने अपनी इन्द्रियों को जीत लिया हो , जिन्होने मन , वचन और काया को जीत कर अपने विकारो से मुक्ती पा ली और कर्म शत्रु का अंत कर सर्वोच्च अवस्था को प्राप्त कर लिया है ।
इस प्रकार सें 'जय जिनेन्द्र' के अभिवादन में जैन अनुयायी जिनेन्द्र प्रभु की प्रशंसा करते है और उन्के गुणो को नमस्कार करने के लिए 'जय' का प्रयोग करते है ।
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