श्री पैंसठिया यंत्र का छंद बहुत हि मंगलकारी और प्रभावशाली है, इस स्तुति के माध्यम से 24 तीर्थंकर प्रभु की आराधना की जाती है । पैंसठिया यंत्र के छंद के पाठ से मनवाछित कामाना कि पूर्ती होती है । पैंसठिया यंत्र का निर्माण विशेष तरह से होता है , इसे दायें - बायें और ऊपर नीचे अर्थात् उर्ध्व और क्षितिज पंक्तियो का योग 65 ही होता है । पैंसठिया यंत्र के पाठ से दुःख दूर हो जाता है और व्यक्ति का यश , मान-सम्मान बढ़ता है । तीर्थंकर प्रभु की यह स्तुती पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ करनी चाहिए, पैसठिया यंत्र के छंद का पाठ नित्य हि नियम पूर्वक करना चाहिए । जानिये - श्री पार्श्वनाथ जी स्तोत्र |
श्री पैंसठिया यंत्रश्री पैंसठिया यन्त्र का छन्द |
श्री नेमीश्वर संभव स्वाम,
सुविधि धर्म शान्ति अभिराम ।
अनंत सुव्रत नमिनाथ सुजान,
श्री जिनवर मुझ करो कल्याण ॥१॥
अजितनाथ चन्दा प्रभु धीर,
आदीश्वर सुपार्श्व गम्भीर ।
विमलनाथ विमल जग जाण,
श्री जिनवर मुझ करो कल्याण ।।२।।
मल्लिनाथ जिन मंगलरूप,
पंचवीस धनुष सुन्दर स्वरूप ।
श्री अरनाथ नमूं वर्धमान,
श्री जिनवर मुझ करो कल्याण ।।३।।
सुमति पद्मप्रभु अवतंस,
वासुपूज्य शीतल श्रेयांस ।
कुन्थु पार्श्व अभिनन्दन भाण,
श्री जिनवर मुझ करो कल्याण ।।४।।
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इण परे जिनवर संभारिये,
दुख दारिद्र विघ्न निवारिये।
पच्चीसे पैंसठ परमाण,
श्री जिनवर मुझ करो कल्याण ॥५॥
इण भणतां दुःख नावे कदा,
जो निज पासे राखो सदा ।
धरिये पंच तणुं मन ध्यान,
श्री जिनवर मुझ करो कल्याण ॥६॥
श्री जिनवर नामे संकट टले,
मन वांछित सहु आशा फले।
'धर्मसिंह मनि' नाम निधान
श्री जिनवर मुझ करो कल्याण ॥७॥
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