श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तोत्र (कल्पबेल चिन्तामणि)

Abhishek Jain
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श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तोत्र (कल्पबेल चिन्तामणि)

कल्पबेल चिन्तामणि, कामधेनु गुण खान ।

अलख अगोचर अगमगति, चिदानन्द भगवान ।।

पम् ज्योति परमात्मा, निराकार अविकार ।

निर्भय रूप ज्योति स्वरूप, पूरण ब्रह्म अपार ।।

अविनासी साहिब धनी, चिन्तामणि श्री पास ।

विनय करूं कर जोड़ के, पूरो वांछित आस ।

मन चिन्तित आशा फले, सकल सिद्ध हो काम।

चिन्तामणि को जाप जप, चिन्ता हरे यह नाम।।

तुम सम मेरे को नहीं, चिन्तामणि भगवान ।

चेतन की यह विनती, दीजे अनुभव ज्ञान ।।

|| चौपाई ||

जानिये - श्री पार्श्वनाथ जी स्तोत्र

प्राण देवलोक से आए, जन्म बनारस नगरी पाए ।

अश्वसेन कुल मंडनस्वामी, तिहुँ जग के प्रभु अंतर्यामी ।।

वामादेवी माता के जाए, लक्षण नागफणी मणि पाए ।

शुभकाया नवहाथ बखानो, नीलवर्ण तन निर्मल जानो ।

मानव यक्ष सेवें प्रभु पाए, पद्मावती देवी सुखदाए ।

इन्द्र चंद्र पारस गुण गावे, कल्पवृक्ष चिन्तामणि पावे ।।

नित मूमा चिन्तामणि स्वामी, आशापूरे अंतर्यामी ।

धन धन पारस्पुरुषादानी, तुम सम जग में को नहीं माणी ।।

तुमरो नाम सदा सुखकारी, सुख उपजे दुख जाय विसारी ।

चेतन को मन तुमरे पास, मनवांछित पूरो प्रभु आस ।

।। दोहा ।।

जानिये - उपसर्ग-हर-स्तोत्र

ॐ भगवत चिन्तामणि, पार्श्व प्रमु जिनराय ।

नमो नमो तुम नाम से, गंग शोक मिट जाय ।।

बात पित्त दूरे टले, कफ नहीं आवे पास ।

चिन्तामणि के नाम से, मिटै श्वास और खाांस ।।

प्रथम दूसरो तीसरी, ताव चौथियो जाय ।

'शूल बहत्तर दूर हों, दादर खाज न थाय ।।

विस्फोटक गड़ गूंबड़ा, कोढ़ अठारह दूर ।

नेत्र रोग सब परिहरे, कण्ठमाल चकचूर ॥

चिन्तामणि के जाप से, रोग शोक मिट जाय ।

चेतन पारस नाम को, सुमरो मन चित लाय ।।

जानिये - कल्याण मंदिर स्तोत्र : हिन्दी

कल्पबेल चिन्तामणि
Shree Chintamani Parshwanath Stotra

।। चौपाई ॥

मन शुद्ध सुमरी भगवान ।

भय भंजन चिन्तामणि ध्यान ।

भूत प्रेत भय जावे दूर ।

जाप जपे सुख सम्पत्ति पूर ।।

डाकण साकण व्यन्तरदेव ।

भय नही लाग पारससेव।

जलचर थलचर उरपर जीव ।

इनको भय नहीं सुमरो पीव ।।

बाघ सिंह को भय नहीं होय ।

सर्प गोह आवे नहीं कोय।

बाट घाट में रक्षा करे ।

चिन्तामणी चिन्ता सब हरे।।

टोणा टामण जादू करे ।

तुमरो नाम लियां सब डरे ।

टह फांसीगर तस्कर होय ।

द्वषा दुश्मन नावे काये ।।

भय सब भागे तुमरे नाम ।

मनवांछित पूरो सब काम ।।

भय निवारण पूरे आश।

चेतन जप चिन्तामणि पास ।।

।। दोहा ।।

जानिये - लोगस्स का पाठ

चिन्तामणि के नाम से, सकल सिद्ध हो काम् ।

राज ऋदि रमणी मिले, सुख सम्पत्ति बहु दाम ।।

हय, गय, रथ पायक मिले, लक्ष्मी को नहीं पार ।

पुत्र कलत्र मगल सदा, पावे शिव दरबार ।।

चेतन चिन्ता हरण को, जाप जपो तिहुँ काल ।

कर आम्बिल षट् मास को, उपजे मंगल माल ।

पारस नाम प्रभाव से, बाढ़े बल बहु ज्ञान ।

मनवांछित सुख ऊपजे, नित सिमरो भगवान ।।

सम्वत् अठारह ऊपरे, साढत्रीस परिमाण ।

पोष शुक्ल दिन पंचमी, बार शनिश्चर जाण ।।

पढ़े गुणे जो भाव से, सुणे सदा चित्त लाय ।

चेतन सम्पत्ति बहु मिले, सुमरो मन वच काय ।

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