तीर्थंकर शीतलनाथ जी का जीवन परिचय

Abhishek Jain
2 minute read
0
प्रभु शीतलनाथ जी जैन धर्म के दसवें तीर्थंकर है । प्रभु का जन्म माघ कृष्ण बारस को भद्रिकापुरी नगरी में इक्ष्वाकु कुल में हुआ था । प्रभु के पिता का नाम दृढ़रथ राजा तथा माता का नाम सुनन्दा था । प्रभु का प्रतीक चिह्न कल्पवृक्ष था , प्रभु की देह का रंग सुनहरा था ।

दसवें तीर्थंकर श्री शीतलनाथ जी
शीतलनाथ जी

प्रभु के शरीर का आकार 90 धनुष (270 मीटर ) था । प्रभु की आयु 1,00,000 वर्ष पूर्व की थी । प्रभु की देह का रंग सुनहरा था ।

प्रभु ने माघ कृष्ण द्वादशी के दिन मूला नक्षत्र में दीक्षा ग्रहण की और प्रभु चार ज्ञान के धारक हो गये , प्रभु ने दीक्षा ग्रहण करते ही मनः पर्व ज्ञान प्राप्त किया , प्रभु के साधनाकाल की अवधि 3 माह की थी , इसके पश्चात शीतलनाथ प्रभु ने पौष कृष्ण चर्तुदर्शी के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे कैवलय ज्ञान प्राप्त किया और प्रभु अरिहंत कहलाये , प्रभु पाँच ज्ञान के धारक हो गये ।

प्रभु के संघ में 87 गणधर थे । प्रभु ने सत्य , अहिंसा , अचौर्य और अपरिग्रह का उपदेश दिया , प्रभु का धर्म चर्तुयाम धर्म था । अहिंसा इसकी प्रमुख विशेषता थी । प्रभु जैन धर्म के दसवे तीर्थंकर थे । 
इसके पश्चात् प्रभु ने वैशाख कृष्ण द्वितिया के दिन सम्मेद शिखर जी में निर्वाण प्राप्त किया ।

प्रभु शीतलनाथ के नाम की उत्पति

एक दिन महाराज दृढ़रथ के शरीर में किसी व्याधी सें शरीर में जलन होने लगी , अनेक प्रकार की औषधी लेने व लेप लगाने से भी राजा के शरीर की जलन शांत नही हुई , फिर अचानक जैसे ही राजा की गर्भवती रानी सुनंदा ने अनयास ही राजा के शरीर को स्पर्श किया और अनयास ही हाथ फेरा तो तीर्थंकर प्रभु के प्रभाव से राजा के शरीर की जलन शांत हो गई , और राजा दृढ़रथ को असीम शीतलता की अनुभूती हुई , इसी घटना के प्रभाव स्वरूप राजा ने अपनी संतान का नाम शीतल रखना निश्चित किया ।

प्रभु के नाम के अनुसार जहाँ भी प्रभु भ्रमण करते थे, वहाँ असीम शीतलता और शांती व्याप जाती थी , वहाँ का वातावरण मनोरम और प्राणियों के अनुकुल हो जाता था । धर्म के महाप्रभु श्री शीतलनाथ जी के समसवरण में प्रत्येक प्राणी अभय को प्राप्त होता था , उनके धर्म के प्रभाव स्वरूप शेर और हिरण एक साथ आपसी वैर भाव भूलाकर प्रभु की देशना सुनते थे ।

"तीर्थंकर महाप्रभु श्री शीतलनाथ जी को कोटी - कोटी प्रणाम"

॥ इति ॥

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।

एक टिप्पणी भेजें (0)
Today | 22, January 2025