भगवान महावीर का यह महान स्तोत्र भगवान महावीर के गुणो से युक्त है। भगवान महावीर के वचन ,प्रभु का दर्शन , प्रभु का महान प्रभाव इस स्तोत्र में बताया गया है । इस स्तोत्र के पाठ से समस्त कष्टो का नाश करने के साथ-साथ महामंगलदायी भी है ।
महाविराष्टक स्तोत्र
यदीये चैतन्ये मुकुर इव भावाश्चिदचित:,
समं भान्ति ध्रौव्य-व्यय-जनि-लसन्तोन्तरहिता: |
जगत्साक्षी मार्ग-प्रकटनपरो भानुरिव यो,
महावीर-स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ||१||
अताम्रं यच्चक्षु: कमल-युगलं स्पन्द-रहितम्,
जनान्कोपापायं प्रकटयति बाह्यान्तरमपि |
स्फुटं मूर्तिर्यस्य प्रशमितमयी वातिविमला,
महावीर-स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ||२||
नमन्नाकेन्द्राली-मुकुट-मणि-भा-जाल-जटिलम्,
लसत्पादाम्भोज-द्वयमिह यदीयं तनुभृताम् |
भवज्ज्वाला-शान्त्यै प्रभवति जलं वा स्मृतमपि,
महावीर-स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ||३||
यदर्चा-भावेन प्रमुदित-मना दर्दुर इह,
क्षणादासीत्स्वर्गी गुण-गण-समृद्ध: सुख-निधि: |
लभन्ते सद्भक्ता: शिव-सुख-समाजं किमु तदा,
महावीर-स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ||४||
कनत्स्वर्णाभासोऽप्यपगत-तनुर्ज्ञान-निवहो,
विचित्रात्माप्येको नृपति-वर-सिद्धार्थ-तनय: |
अजन्मापि श्रीमान् विगत-भव-रागोऽद्भुत-गतिर्,
महावीर-स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ||५||
यदीया वाग्गङ्गा विविध-नय-कल्लोल-विमला,
वृहज्ज्ञानाभ्भोभिर्जगति जनतां या स्नपयति |
इदानीमप्येषा बुध-जन-मरालै: परिचिता,
महावीर-स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ||६||
अनिर्वारोद्रेकस्त्रिभुवन-जयी काम-सुभट:,
कुमारावस्थायामपि निज-बलाद्येन विजित: |
स्फुरन्नित्यानन्द-प्रशम-पद-राज्याय स जिन:,
महावीर-स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ||७||
महामोहातंक-प्रशमन-पराकस्मिकभिषक्,
निरापेक्षो बन्धुर्विदित-महिमा मंगलकर: |
शरण्य: साधूनां भव-भयभृतामुत्तमगुणो,
महावीर-स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे ||८||
महावीराष्टकं स्तोत्रं भक्त्या ‘भागेन्दुना’ कृतम् |
य: पठेच्छ्रुणेच्चापि स याति परमां गतिम् |
" जय महावीर "
जानिये - क्या जैन हिन्दू होते है ?
जय जिनेंन्द्र
जवाब देंहटाएंजय जिनेन्द्र
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