जैन धर्म में बलदेव कि संख्या 9 होती है, ये धर्मात्मा होते है , तथा हमेशा देव लोक या मोक्ष हि पधारते है, अति पुण्य आत्मा बलदेव का पद धारण करती है। बलदेव वासुदेव के भाई होते है , जो यहाँ बलदेव कि साह्यता के लिए होते है ।
एक काल में वासुदेव, प्रति वासुदेव और बलदेव होते है । इस प्रकार से एक बार में तीन महान विभूती होने से 27 महान पुरूष एक काल क्रम में होते है। यहाँ बलदेव व वासुदेव धर्म के अवतार कहे जाते है, और प्रतिवासुदेव प्रतिनायक के रूप में होता है ।
वासुदेव , प्रति वासुदेव का चक्र रत्न से अंत कर धर्म कि स्थापना करते है। यहा बलदेव साहयक के रूप में होता है । बलदेव धर्म कि प्रतिमूर्ती कहे जाते है।
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